Guillain-Barré syndrome फिर एक नया वायरस सावधान

गिलियन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome या GBS) एक दुर्लभ और गंभीर स्थिति है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही नसों को हमला करता है। यह मुख्य रूप से पेरिफेरल नसों (जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के बाहर की नसों को कहते हैं) को प्रभावित करता है। इसके कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों में कमजोरी, झुनझुनी, और सुन्नता महसूस होती है, जो धीरे-धीरे बढ़ सकती है और गंभीर मामलों में पक्षाघात (पैरालिसिस) भी हो सकता है।

गिलियन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré syndrome) पहला केस कहा मिला था

गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का पहला मामला मुंबई में 2004 में दर्ज किया गया था। यह एक दुर्लभ तंत्रिका तंत्र की बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही नसों पर हमला करने लगती है। मुंबई में पहला केस उस समय सामने आया था जब गिलियन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण एक मरीज में विकसित हुए थे, और उसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया था।

यह सिंड्रोम आमतौर पर किसी वायरस या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद होता है, जैसे कि फ्लू, कोविड-19, या अन्य संक्रमण। मुंबई में भी कोविड-19 महामारी के दौरान GBS के कुछ मामले देखे गए थे।

गिलियन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré syndrome) के लक्षण

आमतौर पर GBS का आरंभ पैरों से होता है, जहां सबसे पहले कमजोरी या झुनझुनी महसूस होती है।
यह कमजोरी धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ सकती है, और हाथों और शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकती है।
कुछ मामलों में, यह श्वसन प्रणाली को प्रभावित कर सकती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, जो जीवन के लिए खतरे की स्थिति बन सकती है।

कारण (Guillain-Barré syndrome)

कारण: GBS का मुख्य कारण अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह आमतौर पर किसी वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण (जैसे फ्लू, गेस्ट्रोएंटराइटिस, या कैम्पाइलोबैक्टर बैक्टीरिया) के बाद होता है। कभी-कभी, टीकाकरण के बाद भी इसे देखा गया है, लेकिन यह बहुत ही दुर्लभ है।

उपचार

इलाज: GBS का कोई खास इलाज नहीं है, लेकिन इसका उपचार कुछ तरीकों से किया जा सकता है:

इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोबुलिन (IVIG): यह थेरेपी शरीर के इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करने और नुकसान से बचाने में मदद करती है।
प्लाज्माफेरेसिस (Plasma exchange): यह प्रक्रिया खून को छानने और हानिकारक एंटीबॉडीज को निकालने में मदद करती है।

अक्सर, उपचार से मरीज को रिकवरी में मदद मिलती है, लेकिन कुछ मामलों में लक्षणों का असर लंबे समय तक रह सकता है।

रिकवरी

अधिकतर लोग उपचार के बाद कुछ महीनों में सुधार दिखाते हैं, लेकिन कुछ लोगों को पूर्ण रूप से ठीक होने में अधिक समय लग सकता है।

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